किसी भी चीज में 100% फोकस कैसे करें? फोकस केसे बढ़ाये? क्या मेडिटेशन की मदद से आपने फोकस को बढाया जा सकता है? चलिए पहले फोकस को समझते हैं। अगर आप फोकस समझ गए तो आप से अपने आप पर अप्लाई कर सकते हैं। फोकस का मतलब होता है कि किसी भी चीज में जो भी आप कर रहे हैं उसमें पूरी तरह से होना पूरी तरह से होने का मतलब आपका पूरा involvement होना मतलब ये कि अब शारीरिक मानसिक वैचारिक और बुधि के तल पर जब किसी चीज में होते हैं तो वहीं एक पल होता है जिसे फोकस कहते हैं। और जब आप किसी भी चीज पूरी तरह से फोकस होते हैं तब उस चीज में आपको सफलता मिल ही जाती है। अगर आप अपने फोकस को बढाना चाहते हैं तो आपको कुछ चीजों पर ध्यान देना होगा। तो आइये शुरू करते है हमारा आज का आर्टिकल “फोकस केसे बढ़ाये”
फोकस केसे बढ़ाये – एकाग्रता शक्ति कैसे बढ़ाये
अपने interest वाली चीज़े करे
पहली बात तो ये हे की आप उन्हीं चीजों पर फोकस कर सकते हो जिसमें आप का इंटरेस्ट है तो जब आप सच में कुछ करना चाहते हैं तब ये फोकस कुछ करने जैसी चीज नहीं होती। तो मतलब ये है कि आपका इंट्रेस्ट होना चाहिए, आपका कोई motive होना चाहिए। अब जब आप का कोई motive होगा तभी आपका interest होगा। क्या आपको पता है ये काम कब करता है मेरे बहुत से student कहते हैं कि सर motive भी सॉलिड है इंटरेस्ट भी बडा जबरदस्त है। पर फोकस लग नहीं पाता
शारीरिक रूप से स्वस्थ रहना है जरुरी
तो दोस्त इसके लिए आपको अपनी physical body का ध्यान रखना होगा। क्योंकि जब हम सक्सेस हासिल करना चाहते हैं तो उस उम्र में हमारे physical body में कुछ हार्मोनल चेंज होते हैं जैसे कभी कभी नींद का ज्यादा आना शारीर में थका थका महसूस होना पढाई में मन ना लगना और ये सब कुछ हो सकता है जब आप phusically फिट न हो कई बार आपके शरीर में कुछ minner कमियाँ होती है।
किसी भी चीज की कमी जैसे विटामिन कैल्शियम या हीमोग्लोबिन की कमी होना ऐसा कुछ होता है और आपको नहीं पता तो आपका शरीर कुछ इसी प्रकार सेरिएक्ट करेगा, नींद न आना थका हुआ महसूस करना, वीकनेस महसूस करना और हमारी फिजिकल बॉडी ठीक रिएक्ट नहीं कर रही है तो ऐसे में आप सोचो आपका दिमाग भला इसे किस प्रकार कम कर सकता है आपका पढाई में मन नहीं लगेगा। आप फोकस्ड नहीं रह पाओगे मतलब ये कि अगर आपकी ये मशीन ये शरीर ठीक नहीं होगा तो शरीर आपके भीतर जो भी सिंगल भेजेगा वो नेगेटिव भेजेगा आपका ब्रेन भी nagetive सोचेगा बेशक आपका मन कुछ भी कहे कि मैं ये ये करना चाहता हूँ वो वो पाना चाहता हूँ लेकिन ऐसा आप सोचते ही रह जाओगी practically आप कुछ कर नहीं पाओगे
फस्ट आपको अपनी बॉडी का ध्यान रखना है आपको फिजिकली फिट रहना है अगर ये ठीक होगा तो मेंटली अपने आप फिट रहेंगे। चलिये ठीक है आपने ये सब कुछ कर लिया। अब आप को यह देखना होगा कि अब आप को किस तरह से फोकस रहना चाहिए। आप जो भी काम करते हैं, जो भी मतलब कुछ भी चाहे आप पढ रहे हो या किसी प्रोजेक्ट में लगे हुए हैं या फिर किसी Art को देख रहे हैं तो यहाँ पर आपको 100% involve होना है।
आपका फोकस ऑटोमेटिकली बनता चला जाएगा और आप ऐसे मैं वह देख पाओगे जो कोई दूसरा नहीं देख सकता। जैसे example के लिए अब प्रकृति को देख रहे हैं, नदिया पहाड़ पेड पौधे, पक्षी या किसी जानवर को आप देख रहे है। एक तो होता है साधारण सा देखना नॉर्मल देखना दूसरा होता है उसमें पूरी तरह से involve होकर देखना जैसे मान लीजिए मैं किसी पेड को देख रहा हु आमतौर पर जब आप देखोगे किसी भी पेड को तो उसे समाज की नजरों से देखोगे, उस का नाम क्या है? ये कितना मोटा हो सकता है? इसकी छाया कैसी है? यह तो था नॉर्मल देखना। अभी इसे फोकस के साथ कैसे देखें? जब आप किसी पेड़ को ऐसे देखेंगे कि आप स्वयं पेड़ बन गए हो। या किसी ने उसका क्या नाम दिया हे आपको तो वह जानना है कि असल में उसका होना क्या है।
नाम तो केवल संसारिक पहचान के लिए है। अगर आप इस भौतिकी से ऊपर उठकर देखना चाहते हैं तो आपको स्वयं वही बनना पडेगा कुछ देर के लिए सन्नाटा हो जाएगा बस आप उसे देखते ही रहेंगे और उसमें डूब जाएंगे।
आप उस पेड को स्वयं में महसूस करोगे। मतलब आप अपने आपको पेड महसूस करोगे उसमें बहता रसायन आप महसूस कर पाओगे और उसके बाद वह जान पाओगे जो कोई नहीं जान सकता। ये तो एक example हे इस प्रकार से आप किसी भी सब्जेक्ट या किसी के प्रोजेक्ट को करने की कोशिश करोगे पूरी तरह से हंड्रेड पर्सेंट अपने आपको involve कर दोगे बाहरी और भीतरी तल पर तो उसमें 100% सफलता पालोगे। इससे आपका फोकस बढ जाएगा।
मैडिटेशन बदल सकता है जिंदगी
सवाल यह भी किया गया है कि क्या हम अपने फोकस को मैडिटेशन के द्वारा बड़ा सकते हैं। देखिए मेडिटेशन और फोकस दोनों अलग अलग चीजें हैं। ध्यान की मदद से आप में भीतरी और बहरी कई सारे बदलाव तो आते हैं लेकिन स्थिरता रखना थोडा सा मुश्किल होता है जैसे एक नया नया साधक जिसने भी ध्यान करना शुरू किया है और उसे कुछ समय हो गया है तो शुरूआती चरण में उसके भीतरी तल पर कुछ बदलाव होते हैं और बाहरी तल पर भी वह कुछ अलग महसूस करने लगता है पहले तो वह सफलता के पीछे भागता था लेकिन अब वह सफलता के पीछे वो इतना पागल नहीं है।
पहले उसके दिमाग में हमेशा सांसारिक सवाल घूमते रहते थे लेकिन अब उस के भीतर आध्यात्मिक सवालो का बवंडर घूमता रहता है जिसके चलते उसकी प्यास और गहरी होती चली जाती है। फिर वह एक एक करके सवालों को जानने लगता है और उसे लगता है कि वेह बदल रहा है। मेडिटेशन ने उसकी जिंदगी बदल दी अब वह लोगों को अलग नजरिए से देखता है। जहाँ कही भी सीख देने की जरूरत होती है वह तुरंत आध्यात्मिक जवाबों के साथ टूट पडता है क्योंकि उसे लगता है कि वह कुछ जान गया है। लेकिन ये सब कुछ धोका हे धोका इसलिए क्योंकि उसने ध्यान किया ध्यान में कुछ हद तक उसे स्थिरता मिली आम तौर पर कोई व्यक्ति ध्यान करने लगता है तो ये प्रकृति उसका साथ देने लगती है।
उसके साथ अभी ऐसा उलट कुछ नहीं हो रहा है। उसे आध्यात्मिक वातावरण मिल रहा है तो वह सीखता चला जाता है जानकरी इकट्ठी करता चला जाता है। लेकिन जैसी उसकी लाइफ में एक झटका लगता है, जो ज्ञान वह दूसरे को दे रहा था, उसकी खुद की फैमिली में यहाँ के खुद के साथ कुछ ऐसा हो जाता है कुछ अनहोनी जैसा जो उसके हिसाब से नहीं होना चाहिए था। ऐसा कुछ होते ही जो सारा ध्यान जो अब तक हासिल किया था, एक झटके में सबकुछ बिखरा हुआ सा दिखाई देने लगता है।
स्थिरता भी है जरुरी
देखिए, जब आप के खुद के हालात ठीक होते हैं, परिस्थितियां आपके अनुकूल होती है तो आप बहुत अच्छा ज्ञान दे सकते हैं, किसी को भी अच्छे advice दे सकते हैं। परंतु जब आपके साथ स्वयं हीं कुछ ऐसा होता है तो आपकी अपनी एडवाइस आप का साथ नहीं देती।
आपका अपना ही ज्ञान आपको धोखा दे देता है और आध्यात्मिक मार्ग में अगर आपके साथ, आपके लिए, कुछ विपरीत परिस्थितियां खडी हो जाती है तो समझो यही आप की परीक्षा की घडी है। आप इस समाज में रहकर इनकी अच्छाई और बुराई से बच सकते हो।
अगर अपने आपको समाज में रहते हुए भी अलग खडा हुआ देख सकते हो तो समझो आप परीक्षा में पास हो रहे हो देखिए असली सन्यासी वही होता है जो समाज में रहकर समाज की सभी चीजों को भोगते हुए भी उन सब को नहीं भोगता समाज की अच्छाई और बुराई उसे छु नहीं सकती।
उसके लिए सफलता और असफलता दोनों एक बराबर होती है वहीं असली सन्यासी होता है यह संसार छोडकर पहाडों, जंगलों में जाने वाले को अगर आप सन्यासी कहते हैं तो ये आपकी भूल है क्योंकि हो सकता वह कच्चा सन्यासी हो। एक अच्छा सन्यासी समाज में रहकर ही साधारण सा दिखते हुए भीतरी तल पर पूरी तरह से एक असाधारण व्यक्ति होता है तो ध्यान से आपको फोकस रहने में मदद मिल सकती है लेकिन उसे स्थिर रखना ये आप पर डिपेंड करता है।
Conclusion – फोकस केसे बढ़ाये
हमने आपको यहाँ एकाग्रता शक्ति कैसे बढ़ाये के बारे में कुछ बहुत ही अलग और बेहतरीन तरीके बताये है, आप इन्हे आजमा कर जरूर देखिए और साथ यह कमेंट करके जरूर बताइयेगा आपको हमारा यह आर्टिकल “फोकस केसे बढ़ाये” कैसा लगा
Singh is an experienced spiritual writer and the resident author at Guruvanee.com. With a deep passion for exploring the mystical aspects of life, Singh delves into various spiritual traditions, philosophies, and practices to inspire readers on their spiritual journeys.