Gehraiyaan Movie Review: गहराइयां के ट्रेलर  से जो उम्मीदें जागती हैं, वह फिल्म में डूब जाती हैं. दीपिका पादुकोण   को छोड़ बाकी ऐक्टर शौकिया काम करते नजर आते हैं.

फिल्म में ऐसा कुछ नहीं है जिससे आम ऑडियंस कनेक्ट हो. मेट्रो के नकली-बनावटी किरदार, दिखावे की यॉट से लेकर फाइव स्टार होटल,

महंगी शराब, चिकने बाथटब, गद्देदार बिस्तर, करोड़ों-करोड़ की हाई-फाई बातें मिलाकर फिल्म को उठाने के बजाय गहराईयों में डुबो देती है.

फिल्म की रफ्तार बहुत सुस्त और किरदार हमेशा रोते हुए-से हैं. एक में भी आपको कोई जीवन-ऊर्जा नहीं दिखती. अलीशा (Alisha) सदा उदास है

करन घर बैठा फ्लॉप-बेरोजगार राइटर है. जेन का आत्मविश्वास नकली है. तान्या छोटी रईस बच्ची जैसी है, जिसकी जिंदगी का कोई लक्ष्य यहां नहीं है

इन सबकी बैक-स्टोरी भी कोई उत्सुकता नहीं पैदा करती. ये लोग टूटे-बिखरे परिवारों से हैं और जब मिलते हैं, तब शराब पीते हैं. बेसिर-पैर की बातें करते हैं.

लेखक न तो किरदारों में कोई जान डाल पाने में सफल हैं और न ही उन्होंने कहानी में रोचक मोड़ पैदा किए हैं. फिल्म का एकमात्र थ्रिल-मोमेंट जब पैदा होता है, तब तक देर हो चुकी होती है

हालांकि उसके आगे भी लेखक-निर्देशक कहानी को सही ढंग से नहीं संभाल पाए. पूरी फिल्म में एकमात्र किरदार जो कुछ प्रभाव छोड़ता है, वह है अलीशा. दीपिका पादुकोण

(Deepika Padukone) ने इसे वाकई खूबसूरती और मेहनत से निभाया है. उन्हें देखकर नहीं लगता कि वह अपनी तरफ से कोई कसर बाकी रख रही हैं.

सीन-दर-सीन यहां उन्हें आप ग्रो करते देखते हैं और अंत में गहराईयां सिर्फ दीपिका (Deepika) के अभिनय के लिए याद रह जाती है.