overthinking आज के समय में एक बहुत ही बड़ी problem है हम अपने ही thoughts में उलझ जाते है, पता नहीं क्या-क्या सोचते रहते है सुबह से लेकर रात तक, एक thoughts आता है उसके तुरंत बाद एक दूसरा thought आ जाता है और उसका पहले वाले से कोई connection ही नहीं होता है बस चले जा रहे है एक के बाद एक, अपने आप को कुछ ना कुछ बोलते रहते है और उसकी वजह से फिर दुःखी होते रहते है जब भी हम अपने-आप को कुछ भी बोलते रहते है तो हम reality से कट जाते है जब भी हम reality से कट जाते है तो हमको दुःखी होने से कोई भी नहीं रोक सकता है और ये समस्या समय के साथ बढ़ती ही चली जा रही है तो अब इस overthinking से कैसे बचे ? उसको हमको देखना है और वो भी बिल्कुल practically तभी कुछ बदल सकता है.
हम सभी को ये तो पता होता है कि असल में overthinking क्या होती है but हमको ये नहीं पता होता है कि ये overthinking हमको क्यों होती है तो चलिए सबसे पहले जानते है कि overthinking हमको क्यों होती है? उसके बाद हम देखेंगे कि overthinking से कैसे बचे ?
Overthinking हमको क्यों होती है ?
हम जब भी overthinking में फसते है तो वो या तो past से related होती है या फिर future से related होती है क्योकि हमसे कोई past में गलती हो जाती और हमको पता है कि हमसे गलती हो गयी लेकिन अगर कोई उसको बार-बार याद दिलाता है तो हमको गुस्सा आने लग जाता है और उसके बाद बस वो बातें हमारे mind में बार-बार आती रहती है।
तो ऐसे में क्या करे उस वक्त हमको उस बात से कुछ न कुछ सीखना है अगर हम सिख जाते है तो हम नहीं फसते है इसके अलावा और कोई तरीका नहीं है
अगर कुछ बुरे से बुरा भी हमारी life में हो जाता है और हम उससे कुछ सीख लेते है तो वो भी अच्छा है और अगर अच्छे से अच्छा भी हुआ है और हम उससे कुछ नहीं सीख रहे है तो वो भी बुरा है.
future से related अगर हम फसते है तो सिर्फ दो वजह है एक तो अगर कोई भी हमसे गलती हो गयी उसके बारे में बहुत ज्यादा सोच कर हम फसते है कि पता नहीं क्या होगा लेकिन जैसा हम सोचते है वैसा तो होता ही नहीं है इसलिए उसको कुछ ज्यादा ही सोचते है और overthinking में चले जाते है
हमारा mind या तो किसी चीज़ के बारे में बहुत ज्यादा ही सोचते लगता है या फिर किसी के बारे में सोचता ही नहीं है हम ज्यादातर उस चीज़ के बारे में सोचते है जो हमारे लिए important नहीं होता है और जो हमारे लिए सबसे important होता है उसकी तरफ तो हमारा ध्यान ही नहीं होता है इसको हम अभी practically देखते है
कोई ऐसी problem जिसकी तरफ हमारा ध्यान ही नहीं जाता है वो है body हम दिन में 3-4 घंटे mobile use करते है उसकी वजह से आने वाले सालो में हमारी body की क्या हालत होगी सभी muscle stiff हो जाएगी और हमको पुरे दिन आलस्य आने लग जायेगे और जो भी हम करना चाहते है उसको करने में हमारा मन ही नहीं कर रहा होगा, brain और dull हो जाएगी
अगर इसको हम सही से समझ लेते है कि आज क्या हो रहा है अगर आज हमारी energy का level कम है तो वो कल और कम होने वाला है
अगर सुबह उठे और कुछ करने का मन नहीं है तो समझ जाओ की आज कुछ गलत कर रहो हो तो कल ख़राब होने ही वाला है
अगर इसको सही तरह से करते है तो सबसे पहले health को डाल देंगे अगर physically फिट है तो brain सही तरह से काम करती है और हम अच्छे से future को plan कर सकते है अगर इस तरह से करते है तो thinking पर पूरा control हमारा होता है जब चाहे उसी तरफ अपनी thinking को लगा सकते है अगर ऐसा करते है तो overthinking के लिए कोई जगह नहीं होती है !
यहां कुछ तरीके दिए गए हैं, जिनसे आप ओवरथिंकिंग से छुटकारा पा सकते हैं, तो आइये जानते है की overthinking से कैसे बचे।
How to Stop Overthinking – ओवरथिंकिंग से कैसे बचे, ज्यादा सोचना कैसे कम करे ?
1. ध्यान भटका ले:-बच्चो के साथ खेल सकते है।
जब भी ये overthinking हद से ज्यादा होने लगती है, मान लो past में कुछ गलत हो जाता है जो की नहीं होना चाहिए था तो उसके thought बार-बार play होते ही रहते है तो बच्चो के साथ बाहर खेलने के लिए जा सकते है क्योकि उनके साथ हम जब भी हम होते है तो हम खुद को भूल जाते है।
overthinking की जो जड़ है वो कही बाहर है या फिर हमारे अंदर ही है मेरा past, मेरा future ये सब मेरे साथ ही क्यों हो रहा है और किसी के साथ अगर हो रहा हो तो कोई भी problem नहीं है लेकिन मेरे ही साथ ही क्यों हो रहा है जब भी हम इस मैं में जाकर फ़स जाते है तो समझ जाओ overthinking की जड़ वही है।
जब हम इस free हो जाते है तो overthinking भी कम हो जाती है जैसे जब भी हम किसी hill station पर जाते है तो क्या होता है कोई भी thoughts अंदर नहीं होते है क्योकि कुछ देर के लिए हम इस मैं को भूल जाते है
इसके क्या-क्या फ़ायदे है ?
इस तरह जब भी हम बच्चो के साथ खेल रहे होते है तो हम खुद को भूल जाते है और उस वक्त इस overthinking के लिए कोई जगह नहीं होती है क्योकि हम उनके साथ ख़ुशी को महसूस कर सकते है,दुसरो की ख़ुशी से जब भी हम दुखी होते है तो हम कभी भी खुश रह ही नहीं सकते है
दुःख की सबसे बड़ी जड़ क्या है की हमको सिर्फ अपनी पड़ी ही सिर्फ अपने ही बारे में सोचते रहतें है की बस मैं ख़ुश रहू, ऐसा भी तो हो सकता है दुसरो की भी ख़ुशी में खुश रहे
अगर हम इस तरह से जीने लग जाये तो अब हमको दुखी करने का कोई तरीका नहीं है और ना ही overthinking के लिए कोई जगह होती है।
2. जल्दी decision लेना सीखे
जब भी कोई बड़ा decision होता है उसको अगर हम एक साल तक भी सोचते रहे ना तो भी कोई solution निकल कर नहीं आने वाला है तो क्या करना है 30 से 50 minute का time set करो और उसमे जो भी निकल कर आएगा वही final decision होगा
कभी भी देखना कोई भी बड़ा decision होता है उसको लेने में कभी भी time नहीं लगता है लेकिन कोई छोटा सा decision उसको लेने में बहुत time लग जाता है क्यों, क्योकि हम अपने thoughts में ही उलझ जाते है.
जब भी हम किसी चीज़ के बारे clear होता है तो decision लेना आसान होता है नहीं तो हम फ़स जाते है.
अगर कोई भी decision जो सब को सही लगता है और हमको वो सही नहीं लगता है तो उसको नहीं लेना चाहिए।
3. problem से थोड़ा हटकर सोचे
जब भी कोई भी problem होती है तो उसको अपनी problem से हटकर अगर हम सोचे तो बहुत ही जल्दी decision ले सकते है
क्योकि अगर कोई भी problem है अगर उसको सोचे की ये मेरे दोस्त की problem है चल देखता हूँ कि क्या है फिर वहाँ से आसानी से हमारा काम हो जाता है
क्योकि अगर दुनिया में किसी के साथ अगर कुछ हो जाता है तो हमको कोई भी फर्क नहीं पड़ता है और हमारे साथ अगर कुछ भी हो जाता है तो दुःखी हो जाते है
जैसे हम अपने किसी भी दोस्त की problem का solution कितनी जल्दी निकाल लेते है ऐसे ही हमको अपनी problem का solution निकालना है.
इस दुनिया में दो तरह की problem है एक जिसका solution निकाला जा सकता है और एक वो जिसका कोई solution निकल ही नहीं सकता है.
जिसका कोई solution नहीं निकल सकता है वहाँ पर अपनी thinking को सही करना है और जिसका solution निकल सकता है वहाँ पर action लेना है.
घर बैठे-बैठे सोचने से पैसा थोड़े न आता है उसके लिए action लेने पड़ते है जब हमको ये बात clear होती है तो हमको पता होता है कि किस problem पे कितना काम करना है
हमको पता ही नहीं नहीं है हमको क्या करना है जहाँ thinking की जरुरत है वहाँ action ले रहे होते है और जहॉ action लेने होते है वहाँ सोचते रहते है
अगर problem पैसा है तो action लेना है और problem लोग है तो लोगो को नहीं बदलना है अपनी thinking को change करना है।
4. अपने thought को लेकर हमेशा aware रहो।
जब भी हम अपने thought को लेकर aware नहीं होते है तो वो problem होने लग जाती है अगर हम aware होकर कुछ भी सोचते है तो वो कोई problem नहीं है क्योकि सबसे पहले आता है thought और फिर आती है thinking और उसके बाद आती है overthinking अब सबसे पहले इनको समझते है.
सबसे पहले हम समझते है की thought क्या होता है जब भी हम किसी के बारे में सोचते है वो है thought और वो जो चीज़ है उससे related कुछ memory होती है जब भी हम उसके बारे में कुछ सोचते है वो है thinking और जब उससे related कुछ भी बोलते है तो कोई problem नहीं है लेकिन कही का कही सोच रहे है कोई अता-पता ही नहीं है वो है problem वो है overthinking
जब भी हम अपने आप को बोलते है की देखता हु की मैं अपने-आप को अंदर ही अंदर क्या बोलता हु तो एकदम हमारा mind blank हो जाता है ये है awareness की हम aware होकर कुछ बोल रहे हैं ऐसा हम कभी भी कही भी कर सकते है ऐसा अगर दिन में करने लग जाये तो कुछ कमाल का हो सकता है.
5. खुद को busy रखे
हमको जब भी overthinking होती है तो एक के बाद एक thought आ रहे होते है तो ना तो हमको सही से नींद आती है और न ही हम अपने काम को कर पाते है तो ऐसे में हम अपने आप को जितना ज्यादा busy रख पाए तो ये कम हो सकती है।
उसके लिए हम workout या कोई भी physical activity करते है तो हमारी body relax हो जाती है और उसके साथ-साथ mind भी relax हो जाता है अगर कोई workout करता है अगर वो एक दिन ना करे तो overthinking और ज्यादा बढ़ जाती है अजीब सा ही लगने लगता है लेकिन ये भी permanent solution नहीं है.
निष्कर्ष- overthinking से कैसे बचे
अगर हमको अपने आप पर control करना आ जाये कुछ बोलने का और कुछ ना बोलने का.
ये जो हमारी tongue है इस पर हमको control करना आ जाये तो कुछ हो सकता है जब भी हम कुछ खाते है तो ये तो मोटी होती नहीं है और कुछ बोलते है तो बोल तो ये जाती है और काम हमारा ख़राब हो जाता है तो सप्ताह में एक दिन इसका मौन कर सकते है जितना जरुरी है सिर्फ उतना ही बोलने का तो धीरे-धीरे overthinking बिल्कुल ही कम होती जाती है.
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Singh is an experienced spiritual writer and the resident author at Guruvanee.com. With a deep passion for exploring the mystical aspects of life, Singh delves into various spiritual traditions, philosophies, and practices to inspire readers on their spiritual journeys.