किसी के मन की बात कैसे जाने – क्या दूसरे के मन की बात को जान लेना कोई इसान हमारे बारे में क्या सोच रहा है? इन बातों को जान लेना क्या संभव है तो इसका उत्तर है हा संभव है 100% प्रतिशत तो नहीं लेकिन किसी हद तक आप किसी के भी मन की बातो को जान सकते हैं समझ सकते हैं। लेकिन अगर आप भी इसे सीखना चाहते हो तो आप इस लेख को बहुत ध्यान और समझ के साथ पढिये और इस लेख में जो प्रयोग आपको बताया जा रहे हैं उन्हें आप लगातार अभ्यास करने की कोशिश कीजिए तभी आप किसी के भी मन की बात को समझ पाएंगे, महसूस कर पाएंगे
वैसे ये सब प्रयोग आपको कोई बताएगा नहीं क्योंकि बहुत सारे एस्ट्रोलोजर जो ज्योतिषी हैं वो यही सारे प्रयोग करके आपके मनोभावों को जान लेते हैं। आप जैसे ही उनके पास जाते हैं वो पहले ही आपके मनोभावों को पढना शुरू कर देते हैं है। आप अपने बारे में उन्हें थोडा बताते हैं और वो आप को आप के ही बारे में बहुत कुछ बता देते हैं तो आपको लगने लगता है कि ये ज्योतिषी तो बहुत चमत्कारी है। इन्हें हमारे भूतकाल के बारे में हमारे भविष्य के बारे में सब कुछ पता है।
पर ये वास्तविकता नहीं है और ये कोई चमत्कार भी नहीं है। यह सिर्फ़ अभ्यास की बात है जो उन्होंने किया है और उसी से ही वो आपके मन की बातो को जान लेते हैं।
अब वो तो आपको ये सारी बातें नहीं बता सकते क्योंकि उनका घर और उनका बिजनेस इसी से ही चलता है। तो आइए अब हम शुरू करते हैं कि इसको किया कैसे जाता है।
किसी के मन की बात कैसे जाने
सबसे पहली बात है कि अगर आप किसी के मन की बात को जानना चाहते हैं तो उसके लिए आपके मन का शांत होना बहुत जरूरी है। थोडा ध्यान से समझना इस बात को तभी आप इन प्रयोगों को succesfully कर पाएंगे मैं आपको एक कहानी सुनाता हूँ एक जैन फ़क़ीर हुए जॉर्ज गुरजिफ उनके पास जो कोई भी शिक्षा लेने आता था वो उन्हें सिखाते थे कि तुम शब्दों से नहीं मन के भावों से बातचीत करना सीख। इसे telephathy भी कहा जाता है
जो बिना कुछ कहे एक दूसरे के साथ अपने मन में बात कर लेना कई बार आप लोगों ने महसूस किया होगा कि आप किसी के बारे में सोचते हैं और वो इंसान आपके सामने आ जाता है या उसका फोन आ जाता है कहीं ना कहीं आपके मन की बातें उस तक पहुंच जाती है और उसके मन की बात आप तक पहुंच जाती है तो जो जैन फकीर थे वो अपने सारे शिष्यों को एक प्रयोग सिखाते थे कि तुम अपने आप को एक कमरे में बंद रखो और एक भी शब्द नहीं बोलना है। किसी से कोई बात नहीं करनी है।
सबसे पहले तो तुम अपनी वाणी को शांत करो जब तुम्हारी वाणी शांत होगी तभी तुम्हारा मन शांत होगा हमारी वाणी हमारे विचारों को शब्द देती है, आवाज देती है। पहले वाणी में शांति आएगी, फिर विचारों में शांति आएगी। फिर जब धीरे धीरे उन शिष्यों का मन प्रयोगों के द्वारा शांत होने लगता था तो गुरजिफ क्या करते थे? अपने मन में एक शब्द बोलते थे जेसे कि गुलाब का फूल और जब तक वो शब्द उन शिष्यों को सुनाई नहीं देता था
वो उन शिष्यों से इसी प्रयोग को लगातार करवाते रहते थे। वो एक ही कोई शब्द अपने मन से बोलते रहते थे और उस शब्द को धीरे धीरे वो सारे शिष्य आसानी से सुन लेते थे। बिना मुह से कुछ भी बोले आप कहोगे ये सब बकवास बातें हैं। ये बिल्कुल भी बकवास बातें नहीं। ये proved practical बातें हैं बहुत लोगों ने इसपे प्रयोग किए हैं।
आपने कभी देखा होगा जो मनोवैज्ञानिक होते हैं वो बहुत से लोगों के चेहरे के हाव भाव को देखकर उनकी बातों को सुनकर उनके mann ki baat जान लेते हैं तभी मनोवैज्ञानिक लोगों के सामने सब लोग अपने दिल की हर बात खोलकर रख देते हैं उन्हें लगता है कि इन्हें हमारे बारे में सब कुछ समझ में आता है। ये तो हमारे मन की बातें पढ लेते हैं जो लोग मनोवैज्ञानिकों के पास जाते हैं उन्हें लगता है की इस मनोवैज्ञानिक के पास तो कोई चमत्कारी शक्ति है। सच कहूँ उनके पास कोई चमत्कारी शक्ति नहीं उन्होंने बस अपने विचारों को शांत करके खुद के विचारों में ठहराव लाकर के उन्होंने अपने भावों को, अपनी ऊर्जा को आप से कनेक्ट कर लिया
इसलिए जो भी आपके हाव भाव हैं उसकी ऊर्जा को वो मनोवैज्ञानिक महसूस कर पाता है, समझ पाता है सीधा सरल सा सूत्र है कि जब तक आप बोलते रहते हैं सामने वाले सुनते रहते हैं, आप बोलना बंद करते हैं तभी सामने वाला जो बोल रहा है वो आप सुन पाते हैं। यदि आप दोनों ही लगातार बोलते रहेंगे तो किसी को कुछ समझ में नहीं आएगा। ठीक इसी तरह यदि आपका मन चुप है तभी आप किसी दूसरे का मन सुन सकते हैं। मन के चुप होने का मतलब है कि आप विचार और कल्पनाओं से बाहर निकल कर पूर्णतः शांत हो जाए।
इसे ही चित्त का शांत हो ना कहते हैं कहते हैं लोगों के मन में तो दुनिया भर का शोर मचा हुआ है। वह आपको कैसे नहीं सुनाई देगा। लेकिन इसके लिए आपको एक बात बता दूँ, जिन लोगों का मन बहुत चंचल रहता है, बहुत दौडता रहता है ऐसे लोग अपने ही मन की बातो को ठीक से नहीं समझ पाते तो किसी और की मन की बात को क्या समझ पाएंगे मैंने एक कहानी सुनी एक फकीर थे वो अपने एक शिष्य के साथ रोज सुबह में (चलना) walk करने जाते थे। एक दिन जो उनका शिष्य था तो उस दिन उनका शिष्य अपने मित्र को भी साथ लेकर आया तो मॉर्निंग walk के टाइम पे उनका शिष्य और उसका मित्र भी साथ साथ चलने लगा वो काफी देर तक ऐसे ही पैदल चलते रहे हकिसी ने कोई आवाज नहीं की जो उनके शिष्य का मित्र था वह बडा हैरान हो रहा था कि ये लोग कुछ बोलते क्यों नहीं इतनी देर से चुप क्यों है ये लोग तो उसने सोचा मैं ही बात शुरू करता हूँ और काफी समय गुजरने के बाद उसने सिर्फ इतना कहा कि कितनी अच्छी सुबह कितना अच्छा मौसम है
जब उस शिष्य के मित्र ने ये बात कही तो लाउसू ने कहा कि कल से तुम अपने मित्र को मेरे पास बिलकुल लेकर मत आना क्योंकि ये बहुत शोर मचाता है वो शिष्य बडा हैरान हो गया की इसने तो सिर्फ इतना कहा कि कितनी अच्छी सुबह मौसम कितना अच्छा है इसमें ऐसा कौन सा शोर मचा दिया तो लाउसू ने अपने शिष्य से कहा कि मेरा मन पूर्णतः शांत हो गया है अब जरा सी भी आवास मुझे शोर गुल मालूम होती है। सुबह अच्छी है तो है। मौसम अच्छा है तो है मैं भी देख रहा था की मौसम अच्छा है तुम भी देख रहे थे तो इस बात को व्यर्थ में बताने का मतलब ही क्या हुआ।
मेरे मन में ऐसी शांति भर गई है। ये वयर्थ की बातें मुझे अब बिल्कुल अच्छी नहीं लगती क्योंकि में बिना बोले ही सब कुछ सुन सकता हूँ और बिना कहे सब कुछ कह सकता हूँ तो मैं शब्दों को बोल कर और सुन कर अपनी उस शक्ति को waste क्यों करूँ जब मैं बिना बोले सुन सकता हूँ, बिना कहे भी कह सकता हूँ तो मुझे शब्दों की जरूरत ही नहीं है। अगर आप भी चाहते हैं कि आप दूसरे लोगों के मन की बात जान सके तो उसके लिए आप एक प्रयोग करें।
सबसे पहले आप दिन में कुछ समय निश्चित करें। इस समय से इस समय तक आप कुछ नहीं बोलेंगे और उस समय पे आप एक आसन में बैठना सीखिए और अपने मन में जरा गहरे झांककर देखिए कि वहाँ क्या चल रहा है। आपको कोई प्रतिक्रिया नहीं देनी बस देखना है और धीरे धीरे इसे देखते हुए आपका मन शांत होने लगेगा। इससे ही महात्मा बुद्ध ने पांच सती योग कहा है जिसमें आपका पूरा ध्यान आपकी श्वासों पर रहता है।
इस से आपके मन में पूर्णतः शांति आ जाती है और जब आपका मन पूरी तरह से शांत हो जाता है तो आप अपने आस पास में हो रही चीजों को लोगों को गहराई से देख पाते हैं। गहराई से समझ पाते हैं, सुन पाते हैं एक शांत चित्त वाला इंसान बिना कहे भी सामने वाले की हर बात को समझ लेगा और वो जो कह रहा है उसकी जूठी बातों में वो कभी नहीं फंसेगा। क्योंकि एक शांतचित्त वाला वो सब कुछ सुन सकता है जो एक साधारण इंसान कभी नहीं सुन सकता अगर आप भी चाहते हैं कि आप लोगों का मन पढ सकते है,
उनके मन में चल रही भावनाओं को महसूस कर सकते है उसके लिए आप अपने मन को शांत करने का अभ्यास करें और जब आपका मन शांत हो जाए तो धीरे धीरे लोगों के मन में गहरे झांकने की कोशिश करें। उनके हावभाव को समझने की कोशिश करें, उनके शब्दों पर नहीं जाए जो उनके हावभाव है आप उन्हें गहराई से समझने की कोशिश करें। दूसरे के मन की बात को जान लेना इसमें कोई बडी बात नहीं है पर शर्त यही है
कि आपको यही अभ्यास निरंतर करना होगा जिस दिन आप का अभ्यास सिद्ध हो जाएगा आपको बिना कहे भी लोगों के मन की सारी बातें बिल्कुल साफ सुनाई देंगी अब आप ये सोच रहे होंगे किसी और के मन की बात पता करके हमें क्या फायदा मिल जाएगा लेकिन मैं आपको बता दूँ कि इसका फायदा आपको जीवन के हर क्षेत्र में मिलेगा,
चाहे वो आपके रिश्ते हो, आपके क्लाइंट हो आपकी नौकरी का इंटरव्यू हो, जिंदगी के किसी भी क्षेत्र में चले जाओ। अगर आप सामने वाले की मन की बातो को समझ पाओ महसूस कर पाओ तो आप जिंदगी में हर कामयाबी हासिल कर सकते हो इसके बहुत फायदे हैं। इससे आपको कोई भी इंसान झूट बोलके धोखा नहीं दे सकता कोई आपका इस्तेमाल नहीं कर सकता है। आप हर तरह की भावनात्मक चोट खाने से बच जाएंगे ये सब इतना जल्दी नहीं होता लेकिनं निरंतर अभ्यास से आप लोगो के मन की बात जान पायेगे
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